डॉ.हरिवंश राय बच्चन की एक कविता जो मुझे बेहद पसंद है,इस प्रकार है-
रात आधी खींच कर मेरी हथेली,
एक ऊँगली से लिखा था प्यार तुमने एक बिजली सी छू गयी सहसा जगा मैं,
कृशन पक्षी चाँद निकला था गगन में,
इस तरह करवट पड़ी थी की तुम की
आंसू बह रहे थे इस नयन से उस नयन में
मैं लगा दूँ आग इस संसार मैं,
है प्यार जिसमें इस तरह असमर्थ कातर
जानती हो उस समय क्या कर गुजरने के लिए
कर दिया तैयार तुमने,
फ़िर न आया वक्त वैसा,
फ़िर न मौका उस तरह का
फ़िर न लौटा चाँद निर्मम,
और हवा का झोंका उस तरह का
बुझ नही पाया अभी तक,उस समय जो
रख दिया था हाथ पर अंगार तुमने,
रात आधी खिंच कर मेरी हथेली,
एक ऊँगली से लिखा था प्यार तुमने......